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Saturday, July 21, 2012

पर्सी बैशे शेली :एक वैवाहिक गीत



I.
निद्रा के स्वर्णिम दरवाजे , अबाध 
जहाँ शक्ति और सौंदर्य मिले निर्बाध 
 प्रज्ज्वलित करो सितारे के समान उनकी छाया 
जैसे शीशे के मौसम का  समुद्र आया 

हे रात ! अपने सारे सितारों के साथ देखो नीचे 
तिमिर ! अपनी सबसे पवित्र ओस की बूँदें  गिराओ 
ऐसे सच्चे जोड़े पर  ये परिवर्तनशील चाँद ,
कभी मुस्कुराया नहीं
आँखों को अपनी स्वयं की ख़ुशी मत दिखाओ 
जल्दबाजी , भागते घंटे , और तुम्हारी ये उड़ान - प्रायः नयी 

II.
परियां , हूरें  और देवदूत , उन्हें वहीँ रखो 
पवित्र सितारों - कोई गलती न होने दो 
और लौटो सोये हुओं को जगाने 
भोर ! इसे और देर से होने दो 
हे आनंद ! हे भय ! क्या होगा 
जब सूरज नहीं होगा 
चले आओ 

पर्सी बैशे शेली 

A Bridal Song

I.
The golden gates of Sleep unbar
Where Strength and Beauty, met together,
Kindle their image like a star
In a sea of glassy weather!
Night, with all thy stars look down,--
Darkness, weep thy holiest dew,--
Never smiled the inconstant moon
On a pair so true.
Let eyes not see their own delight;--
Haste, swift Hour, and thy flight
Oft renew.

II.
Fairies, sprites, and angels, keep her!
Holy stars, permit no wrong!
And return to wake the sleeper,
Dawn,—ere it be long!
O joy! O fear! what will be done
In the absence of the sun!
Come along! 
Percy Bysshe Shelley

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