Books For Mind

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Words are world

Saturday, July 28, 2012

अलेक्जेंडर पोप : एकाकी

खुश है वो , जिनकी इच्छाएं, चिंताएं 
सिमटी है कुछ एकड़ पैतृक भूमि तक
घरेलू  हवा में श्वास लेकर संतुष्ट है जो
अपनी जमीन की पृष्ठभूमि  तक  


जिसके पालतू जानवर देते दूध , खेत देते रोटी 
और भेड़ें देती गर्म कपड़ों की निवाच 
गर्मियों में  पेड़ जिसके छाँव देते 
और सर्दियों में देते आंच 


परम सुखी है जो  जीवन में पाता 
घंटे दिन और वर्ष , चुपचाप जाते हुए 
स्वस्थ शरीर और मन की शांति से 
हर दिन बिताते हुए  

गहरी नीद रात्रि में ; थोडा अध्ययन  और आराम 
जिसमे मिला हो मनोरंजन 
और सादगी , जो प्रायः सबको भाती  है 
और साथ ही गहरा मनन

 बस ऐसे ही  रहने दो मुझे , अनदेखा, अनजाना 
मरने दो मुझे बिना शोक , अनरोया 
छुपा लो इस दुनिया से , जहाँ एक पत्थर भी न बताये 
कि  मैं कहाँ  हूँ लेटा  कहाँ  सोया 

Solitude by Alexander Pope
Happy the man, whose wish and care
A few paternal acres bound,
Content to breathe his native air
In his own ground.

Whose herds with milk, whose fields with bread,
Whose flocks supply him with attire;
Whose trees in summer yield shade,
In winter, fire.

Blest, who can unconcern'dly find
Hours, days, and years, slide soft away
In health of body, peace of mind,
Quiet by day.

Sound sleep by night; study and ease
Together mixed; sweet recreation,
And innocence, which most does please
With meditation.

Thus let me live, unseen, unknown;
Thus unlamented let me die;
Steal from the world, and not a stone
Tell where I lie.

Saturday, July 21, 2012

पर्सी बैशे शेली :एक वैवाहिक गीत



I.
निद्रा के स्वर्णिम दरवाजे , अबाध 
जहाँ शक्ति और सौंदर्य मिले निर्बाध 
 प्रज्ज्वलित करो सितारे के समान उनकी छाया 
जैसे शीशे के मौसम का  समुद्र आया 

हे रात ! अपने सारे सितारों के साथ देखो नीचे 
तिमिर ! अपनी सबसे पवित्र ओस की बूँदें  गिराओ 
ऐसे सच्चे जोड़े पर  ये परिवर्तनशील चाँद ,
कभी मुस्कुराया नहीं
आँखों को अपनी स्वयं की ख़ुशी मत दिखाओ 
जल्दबाजी , भागते घंटे , और तुम्हारी ये उड़ान - प्रायः नयी 

II.
परियां , हूरें  और देवदूत , उन्हें वहीँ रखो 
पवित्र सितारों - कोई गलती न होने दो 
और लौटो सोये हुओं को जगाने 
भोर ! इसे और देर से होने दो 
हे आनंद ! हे भय ! क्या होगा 
जब सूरज नहीं होगा 
चले आओ 

पर्सी बैशे शेली 

A Bridal Song

I.
The golden gates of Sleep unbar
Where Strength and Beauty, met together,
Kindle their image like a star
In a sea of glassy weather!
Night, with all thy stars look down,--
Darkness, weep thy holiest dew,--
Never smiled the inconstant moon
On a pair so true.
Let eyes not see their own delight;--
Haste, swift Hour, and thy flight
Oft renew.

II.
Fairies, sprites, and angels, keep her!
Holy stars, permit no wrong!
And return to wake the sleeper,
Dawn,—ere it be long!
O joy! O fear! what will be done
In the absence of the sun!
Come along! 
Percy Bysshe Shelley