Books For Mind

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Words are world

Thursday, November 15, 2012

रॉबर्ट ब्राउनिंग:मेरा सितारा

जितना कुछ जानता हूँ मैं
एक खास सितारे को जितना 
वो फेंक सकता है , मानता हूँ मैं 
( एक तिरछे डंडे सा  इतना )
अब एक नुकीला नश्तर -लाल 
अब एक नुकीला नश्तर - नीला 
जब तक मेरे मित्र कहते - कमाल 
वो भी ख़ुशी से देखेंगे - ये सिलसिला 
मेरा सितारा जो फेंकता है नश्तर - लाल और नीला 
और फिर रुक कर एक पक्षी सा, एक फूल सा, लटका लहराता 
उन्हें स्वयं को सांत्वना देनी चाहिए , की उनके ऊपर  शनि ग्रह है  
मेरे लिए महत्वपूर्ण है - क्या उन्हें उनके सितारे में विश्व नजर आता 
मेरे वाले ने तो खोल कर रख दी है आत्मा , इसलिए मुझे अति प्रिय है 

My Star by Robert Browning
All that I know
Of a certain star,
Is, it can throw
(Like the angled spar)
Now a dart of red,
Now a dart of blue,
Till my friends have said
They would fain see, too,
My star that dartles the red and the blue!
Then it stops like a bird,—like a flower, hangs furled,
They must solace themselves with the Saturn above it.
What matter to me if their star is a world?
Mine has opened its soul to me; therefore I love it.

Thursday, August 23, 2012

ओस्कर वाइल्ड : मेरी आवाज

   ये बेचैन , जल्दबाज और आधुनिक संसार
   जिसमें ह्रदय का पूरा आनंद  लिया - मैंने और तुमने
   और अब हमारे जहाज के सफ़ेद पाल  लहरा कर तैयार
   और इस जहाज को लादने में हमने


क्यों मेरे गालों का रंग समय से पहले पीत हुआ
क्योंकि इस रुदन में मेरी ख़ुशी चली गयी कहीं पर
दुःख से मेरा युवा मुख सुर्ख  लाल से फीका हुआ
और बर्बादी के परदे तन गए मेरे बिस्तर पर

लेकिन ये भीड़ भरी जिंदगी तुम्हारे लिए
तारों वाले संगीत के वाद्यों से ज्यादा कुछ नहीं
या फिर वो रहस्यमय  ध्वनि सागर की , संगीत लिए
एक सुसुप्त प्रतिध्वनि किसी खोल में से बही 
 
My Voice by Oscar Wilde
Within this restless, hurried, modern world
We took our hearts' full pleasure - You and I,
And now the white sails of our ship are furled,
And spent the lading of our argosy.

Wherefore my cheeks before their time are wan,
For very weeping is my gladness fled,
Sorrow has paled my young mouth's vermilion,
And Ruin draws the curtains of my bed.

But all this crowded life has been to thee
No more than lyre, or lute, or subtle spell
Of viols, or the music of the sea
That sleeps, a mimic echo, in the shell.

Saturday, July 28, 2012

अलेक्जेंडर पोप : एकाकी

खुश है वो , जिनकी इच्छाएं, चिंताएं 
सिमटी है कुछ एकड़ पैतृक भूमि तक
घरेलू  हवा में श्वास लेकर संतुष्ट है जो
अपनी जमीन की पृष्ठभूमि  तक  


जिसके पालतू जानवर देते दूध , खेत देते रोटी 
और भेड़ें देती गर्म कपड़ों की निवाच 
गर्मियों में  पेड़ जिसके छाँव देते 
और सर्दियों में देते आंच 


परम सुखी है जो  जीवन में पाता 
घंटे दिन और वर्ष , चुपचाप जाते हुए 
स्वस्थ शरीर और मन की शांति से 
हर दिन बिताते हुए  

गहरी नीद रात्रि में ; थोडा अध्ययन  और आराम 
जिसमे मिला हो मनोरंजन 
और सादगी , जो प्रायः सबको भाती  है 
और साथ ही गहरा मनन

 बस ऐसे ही  रहने दो मुझे , अनदेखा, अनजाना 
मरने दो मुझे बिना शोक , अनरोया 
छुपा लो इस दुनिया से , जहाँ एक पत्थर भी न बताये 
कि  मैं कहाँ  हूँ लेटा  कहाँ  सोया 

Solitude by Alexander Pope
Happy the man, whose wish and care
A few paternal acres bound,
Content to breathe his native air
In his own ground.

Whose herds with milk, whose fields with bread,
Whose flocks supply him with attire;
Whose trees in summer yield shade,
In winter, fire.

Blest, who can unconcern'dly find
Hours, days, and years, slide soft away
In health of body, peace of mind,
Quiet by day.

Sound sleep by night; study and ease
Together mixed; sweet recreation,
And innocence, which most does please
With meditation.

Thus let me live, unseen, unknown;
Thus unlamented let me die;
Steal from the world, and not a stone
Tell where I lie.

Saturday, July 21, 2012

पर्सी बैशे शेली :एक वैवाहिक गीत



I.
निद्रा के स्वर्णिम दरवाजे , अबाध 
जहाँ शक्ति और सौंदर्य मिले निर्बाध 
 प्रज्ज्वलित करो सितारे के समान उनकी छाया 
जैसे शीशे के मौसम का  समुद्र आया 

हे रात ! अपने सारे सितारों के साथ देखो नीचे 
तिमिर ! अपनी सबसे पवित्र ओस की बूँदें  गिराओ 
ऐसे सच्चे जोड़े पर  ये परिवर्तनशील चाँद ,
कभी मुस्कुराया नहीं
आँखों को अपनी स्वयं की ख़ुशी मत दिखाओ 
जल्दबाजी , भागते घंटे , और तुम्हारी ये उड़ान - प्रायः नयी 

II.
परियां , हूरें  और देवदूत , उन्हें वहीँ रखो 
पवित्र सितारों - कोई गलती न होने दो 
और लौटो सोये हुओं को जगाने 
भोर ! इसे और देर से होने दो 
हे आनंद ! हे भय ! क्या होगा 
जब सूरज नहीं होगा 
चले आओ 

पर्सी बैशे शेली 

A Bridal Song

I.
The golden gates of Sleep unbar
Where Strength and Beauty, met together,
Kindle their image like a star
In a sea of glassy weather!
Night, with all thy stars look down,--
Darkness, weep thy holiest dew,--
Never smiled the inconstant moon
On a pair so true.
Let eyes not see their own delight;--
Haste, swift Hour, and thy flight
Oft renew.

II.
Fairies, sprites, and angels, keep her!
Holy stars, permit no wrong!
And return to wake the sleeper,
Dawn,—ere it be long!
O joy! O fear! what will be done
In the absence of the sun!
Come along! 
Percy Bysshe Shelley

Monday, June 18, 2012

रॉबर्ट ब्राउनिंग - खंडहर और प्रेम



I

जहाँ शांत रंग में रंगी शाम की हंसी
मीलों तक बसी
एकांत हरियाली पर हमारी भेड़ें  
नींदी उनींदी भेड़ें
गोधुली में घंटियों के साथ घर को लौटती भटकती रूकती
झुण्ड में चलती
ये जगह  कभी  महान और सुन्दर शहर होती थी
(ऐसा दुनिया कहती थी )
हमारे देश की राजधानी ; इसके राजकुमार
लगाते दरबार
वर्षों पहले, दरबार लगाते और करते शासन प्रबुद्ध
चाहे शांति हो या युद्ध

II

अब तो देश में बचा नहीं कोई पेड़ तक
नजर जाती है जहाँ तक
जो अंतर कर सके हरियाली ढलान , बहते झरने का   
और रूखे पहाड़ों का
जहाँ वो  मिलते हैं , जिसे एक नाम दे सकें
वर्ना सब एक से लगे
जहाँ निर्भीक गुम्बद वालें महल की मीनारें
जैसे उठती आग की फुहारें
एक सौ दरवाजों वाली लम्बी दिवार के फेरे
सब कुछ अन्दर घेरे
संगमरमर से बने , पुराना नहीं अब भी ,जिसमे सैनिक एक साथ चलें ,
चाहे  दर्जन भर साथ साथ चलें

III

और ऐसी  भरपूर और सम्पूर्ण घास का
कभी न था ऐसा खास सा
गलीचा , इस ग्रीष्म ऋतु में पड़ा  हुआ
भूमि में जड़ा हुआ
प्रत्येक अवशेष  , अब बस कल्पना है , एक शहर का
पड़ा है ढेर पत्थर का
जहाँ अनगिनत लोगों ने  कभी ख़ुशी और कभी दुःख झेले 
लम्बे समय पहले ;
कभी गर्व में सीना फुलाते, कभी शर्म के भय से
झुके कतिपय से
और उस  गर्व और शर्म के बावजूद ,  स्वर्ण का हर समय
चलता क्रय विक्रय

IV

अब वो छोटी सी एक मीनार जो बनी हुई
भूमि पर तनी हुई
उस शरारती फैली हुई लौकी के खोल के पास 
ज्यादा खास
जब की पैबंद लगे हाउसलीक के पेड़ के शीर्ष से झांकती 
दरारों के बीच झांकती
पड़ती किरणे उस प्राचीन , न जाने कब की ,मीनार के आधार  पर
एक अद्भुत दृश्य होता वहां पर
और एक ज्वलंत चक्र , चारों तरफ , जिस को रथ नापते
जब वो भागते
और तब बादशाह , उनके विशिष्ट लोग , उनकी पत्नियाँ का मेल
देखता वो   खेल 

V

और मैं जानता हूँ , जब की यह शांत रंग में रंगी शाम
हंस कर चली अपने धाम 
और सिमट कर चली भेड़ों की भीड़ की घंटियाँ सरगोशी में
जैसे बजती हो ख़ामोशी में 
और वो ढलान , वो झरने शाम के धुंधलके में 
घुल गए रंग हलके में 
और एक लड़की उत्सुक  नयनों और पीत बालों वाली
मेरी प्रतीक्षा में खोयी वो निराली 
वो  मीनार जहाँ जान लड़ाते थे रथ के सारथी सवार
पाने को मंजिल वो सिपहसालार
तब  देखता था बादशाह उन्हें , जहाँ अब वो (मीनार) देखती है , निश्वास , निर्विकार 
जब तक मैं लौटूं एक बार  

VI

लेकिन देखता था शहर को हर तरफ हर और
हर दिशा में सब और
सारे पहाड़ों पर थे मंदिर, और खुले मैदानों की किनारे  
पेड़ों की कतारें
तमाम सड़कें , पुल , नहरें - सभी 
और आदमी सभी 
जब मैं वहां आऊँगा , वो बात नहीं करेगी , खड़ी रहेगी मेरे साथ
रखे दोनों हाथ
मेरे कन्धों पर , और उसकी आँखें करेंगी प्रथम  आलिंगन
मेरे चेहरे का अकिंचन  
इसके पहले कि हम प्यास बुझायें आखों की , कानों की
एक दूसरे की

VII

एक वर्ष में उन्होंने भेजे दस लाख लड़ाकू आगे
जो दक्षिण और उत्तर में भागे
और उन्होंने बनाया अपने इश्वर के लिए कांसे का खम्बा
आसमान सा लम्बा
और फिर भी सुरक्षित रखे हजारों रथ सवार पूरे जोश लिए
स्वर्ण के लिए 
हाय रे ह्रदय ! हाय वो रक्त जो जमा ! रक्त जो जला !
पृथ्वी को मिला 
शताब्दियों की मूर्खताशोर और पाप  
बंद करो ये श्राप 
अपनी सारी विजय और उसके उन्माद आदि से श्रेष्ठ
प्रेम ही है सर्वश्रेष्ठ



Love Among The Ruins 
 Robert Browning
I

Where the quiet-coloured end of evening smiles
Miles and miles
On the solitary pastures where our sheep
Half-asleep
Tinkle homeward thro' the twilight, stray or stop
As they crop—
 
Was the site once of a city great and gay,
(So they say)
Of our country's very capital, its prince
Ages since
Held his court in, gathered councils, wielding far
Peace or war.

II

Now—the country does not even boast a tree,
As you see,
To distinguish slopes of verdure, certain rills
From the hills
Intersect and give a name to, (else they run
Into one)
Where the domed and daring palace shot its spires
Up like fires
O'er the hundred-gated circuit of a wall
Bounding all,
Made of marble, men might march on nor be prest,
Twelve abreast.

III

And such plenty and perfection, see, of grass
Never was!
Such a carpet as, this summer-time, o'erspreads
And embeds
Every vestige of the city, guessed alone,
Stock or stone—
 
Where a multitude of men breathed joy and woe
Long ago;
Lust of glory pricked their hearts up, dread of shame
Struck them tame;
And that glory and that shame alike, the gold
Bought and sold.

IV

Now,—the single little turret that remains
On the plains,
By the caper overrooted, by the gourd
Overscored,
While the patching houseleek's head of blossom winks
Through the chinks—
 
Marks the basement whence a tower in ancient time
Sprang sublime,
And a burning ring, all round, the chariots traced
As they raced,
And the monarch and his minions and his dames
Viewed the games.

V

And I know, while thus the quiet-coloured eve
Smiles to leave
To their folding, all our many-tinkling fleece
In such peace,
And the slopes and rills in undistinguished grey
Melt away—
 
That a girl with eager eyes and yellow hair
Waits me there
In the turret whence the charioteers caught soul
For the goal,
When the king looked, where she looks now, breathless, dumb
Till I come.

VI

But he looked upon the city, every side,
Far and wide,
All the mountains topped with temples, all the glades'
Colonnades,
All the causeys, bridges, aqueducts,—and then,
All the men!
When I do come, she will speak not, she will stand,
Either hand
On my shoulder, give her eyes the first embrace
Of my face,
Ere we rush, ere we extinguish sight and speech
Each on each.

VII

In one year they sent a million fighters forth
South and north,
And they built their gods a brazen pillar high
As the sky,
Yet reserved a thousand chariots in full force—
 

Gold, of course.
Oh, heart! oh, blood that freezes, blood that burns!
Earth's returns
For whole centuries of folly, noise and sin!
Shut them in,
With their triumphs and their glories and the rest.
Love is best!

Wednesday, May 23, 2012

जॉन क्लेयर - पहला प्यार

पहला प्यार

उस क्षण के पहले कभी नहीं छुआ
किसी के प्रेम ने इतना अचानक, इतना मधुर
उसका सुन्दर चेहरा फूल सा खिलता हुआ
मेरे ह्रदय को  उड़ा ले गया जाने किधर

 
मेरा चेहरा जर्द हो गया , बिलकुल जर्द
मेरे पैरों ने जैसे की जवाब दे दिया
और जब उसने देखा मुझे - इतना जर्द इतना सर्द
मेरे तन को जैसे की मिटटी का कर दिया  

 और फिर मेरे चेहरे पर चढ़ी रक्त की लाली
और मेरी दृष्टि जाने कहाँ खो गयी
सारे पेड़ पौधे और हरियाली
दोपहर में भी लगा जैसे मध्यरात्रि हो गयी 

 और  मुझे कुछ नहीं दिख रहा था पर
जैसे   मेरी आँखों से फूट पड़े शब्द
ऐसे निकले जैसे की साज के तारों के स्वर 
और गरम खून से ह्रदय हुआ दग्ध

  क्या पुष्प का चयन करती है सर्दियों की रातें  
क्या प्रेम की शैय्या होती है मखमली बर्फ
लगा जैसे वो सुन रही थी मेरी खामोश बातें
प्रेम नहीं जानता या पढता ये सारे हर्फ़

मैंने नहीं देखा कभी उतना सुन्दर कोई चेहरा
जैसा की उस दिन देखा था मैंने
 ह्रदय अपनी जगह पर नहीं तब से मेरा
लगता है जैसे  उसे खो दिया है मैंने  

जॉन क्लेयर

First Love
~
I ne'er was struck before that hour
With love so sudden and so sweet.
Her face it bloomed like a sweet flower 
And stole my heart away complete. 

My face turned pale, a deadly pale.
My legs refused to walk away,
And when she looked what could I ail
My life and all seemed turned to clay. 

And then my blood rushed to my face 
And took my eyesight quite away.
The trees and bushes round the place 
Seemed midnight at noonday.

I could not see a single thing,
Words from my eyes did start.
They spoke as chords do from the string,
And blood burnt round my heart. 

Are flowers the winter's choice
Is love's bed always snow
She seemed to hear my silent voice 
Not love appeals to know.

I never saw so sweet a face
As that I stood before.
My heart has left its dwelling place
And can return no more.

- John Clare